डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  पति पत्नी के संबंधों पर आधारित  एक विचारणीय एवं संवेदनशील लघुकथा मर्डरडॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को इस संवेदनशील लघुकथा रचने के लिए सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद  # 69 ☆

☆ मर्डर ☆

मीता  ने  तेजी से काम निपटाते हुए पति से कहा – रवि! तुम्हारे फोन पर यह किसके मैसेज आते  हैं? कई दिनों से देख रही हूँ  तुम रोज मैसेज  पढकर हटा देते हो ।

मेरे साथ ऑफिस में काम करती है मारिया। बेचारी अकेली है, तलाक हो गया है बच्चे भी नहीं हैं। उसकी मदद करता रहता हूँ बस।

पक्का और कुछ नहीं ना?

नहीं यार, बहुत शक्की औरत हो तुम।

पर उसके  मैसेज  क्यों ह्टा देते हो?

यूँ ही, अपने सुख दुख की बात करती रहती है बेचारी । तुम तो जानती हो मेरा स्वभाव, मदद करता रहता हूँ सबकी।

मेरे ऑफिस में भी हैं एक मि. वर्मा, बेचारे अकेले हैं। मैं भी  उनकी मदद कर दिया करूंगी।

मर्डर हो जाएगा किसी का — ।

© डॉ. ऋचा शर्मा

अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर.

122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 2 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments