डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 98 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
अक्षर-अक्षर जोड़कर, बनते शब्द महान।
शब्द- शब्द से हुआ है, ग्रंथों का निर्माण।।
हिन्दी में हम जी रहे, हिन्दी में है शान।
हिन्दी सबसे मधुर है, हिन्दी है पहचान।।
दूर देश में हो रहा, हिन्दी का सम्मान।
हिन्दी में सब बोलते, हिन्दी बड़ी महान।।
हिन्दी हिंदुस्तान के, करे दिलों पर राज।
चमक रहा है भाल पर, है बिंदी का ताज।।
हिन्दी को अब मिल रहा, बड़ा बहुत ही मान।
हिंदी भाषा प्रेम की, मिलता है सम्मान।।
तुलसी सूर कबीर को, मिला बहुत ही नाम।
उनके ही साहित्य पर, हुआ बड़ा ही काम ।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈