श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी लघुकथा “साथी ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #16 ☆
☆ साथी ☆
“चल भाई ! महफ़िल जमाते है” रमण ने कहा तो उस ने प्याला उठ लिया. आगे-आगे रमण और पीछे-पीछे वह चलने लगा.
कुछ ही देर में महफ़िल जम गई. एक गिलास में वह कुछ बियर डाल लेता. दूसरे प्याले में कुछ बियर उंडेल देता.
“अरे भाई ! तू बेईमानी मत करना” कहते हुए रमण कागज में रखी सेव का थोड़ा सा भाग उस के सामने रख देता और थोडा सा अपने सामने रख लेता. फिर दोनों सेव खाते हुए मस्ती से बियर का मजा ले रहे थे.
तभी मोहन वहाँ आ पहुँचा ,” क्यों भाई, महफ़िल जम रही है ?”
“हाँ यार, तू भी बैठ.”
“इस कुत्ते के साथ ?”
“हाँ यार ! यही तो मेरा वफादार साथी है. जो हर समय मेरा साथ निभाता है.” कह कर रमण और उस का साथी दोनों बारी-बारी से बियर पीने लगे .