श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी नवरात्रि पर्व पर विशेष कविता “#  रामराज्य  #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 50 ☆

☆ #  रामराज्य  # ☆ 

हमने लोगों का अनुकरण किया

दशहरे के पर्व में साथ दिया

हर्ष और उल्लास से

दशानन का दहन किया

 

सोना बांटा, हाथ मिलाया

सबको अपने गले लगाया

चेहरे पर मुखौटा लगाए

कृत्रिम हंसी से दिल बहलाया

 

रात को सोये, सुबह को जागे

दौड़ में शामिल भागे भागे

भूल गये सब ज्ञान की बातें

“अर्थ” ही है सबसे आगे

 

जीवन में जरूरी है दाम

पद, प्रतिष्ठा, ऊंचा नाम

जीवन-मूल्य गौण हो गये

ना कोई रावण, ना कोई राम

 

सत्य-असत्य में द्वंद है

सत्य पिंजरे में बंद है

असत्य का है बोलबाला

सत्य के नाम पर पाखंड है

 

ना हम राम सा बन पायें

ना हम रावण को भूल पायें

दोनों हममे विद्यमान है

देश में,

फिर रामराज्य कैसे आये?

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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