श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# बसेरा #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 54 ☆
☆ # बसेरा # ☆
जीवन की भाग दौड़ में
जीवन-पथ के हर मोड़ में
तुम मुस्कुराओगी
तो सवेरा होगा
कभी कभी छोटी छोटी बातों में
दूर विरह की रातों में
रूठ जाओगी अगर
तो जीवन में अंधेरा होगा
तुम्हारी प्यारी प्यारी बातों में
यूं ही रोज मुलाकातों में
मैं तो सब कुछ हार गया
ना जाने ये दिल
कब मेरा होगा
तुम्हारा झीना झीना आंचल
आंखों का भीगा भीगा काजल
दीवाना कर रहा है मुझे
ना जाने कब
हाथ में हाथ तेरा होगा
तेरे अंग अंग की दहक
केवड़े की फूल सी महक
बेधुंद नागिन सी तेरी काया
होश में कैसे
यह सपेरा होगा
मैं हूँ रात्रि का आखिरी प्रहर
तू है रात की नई सहर
मिल जाये गर हम दोनों
कितना अद्भुत
यह बसेरा होगा
© श्याम खापर्डे
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