श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता ‘जीवन के रंग….’ )
☆ संस्मरण # 111 ☆ जीवन के रंग…. ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय☆
याद हैं वे स्कूल के दिन
याद हैं वे बचपन के दिन,
तितली पकड़ने को
फिर भागना दौड़ना,
हवाई जहाज़ बनाना
क्लासरूम में उड़ाना,
बचपन में सुना था …
हरी थी, मन भरी थी,
लाख मोती जड़ी थी,
राजा जी के बाग में
दुशाला ओढ़े खड़ी थी,
बचपन की बातें साथ हैं
सारी यादें अभी खास हैं,
उम्र जरुर बढ़ती गई है
मुस्कुराहट साथ रही है,
मुस्कुराहट जिनकी रुकी है
उम्र उनकी जल्दी बढ़ी है,
© जय प्रकाश पाण्डेय
जयप्रकाश भाई बचपन की यादें ताज़ा कर दी आपने, सुंदर रचना बधाई