प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण  “गजल”। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण  प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। ) 

☆ काव्य धारा # 56 ☆ गजल – विसंगतियॉं ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध ☆

हैं उपदेश कुछ किन्तु आचार कुछ है।

हैं आदर्श कुछ किन्तु व्यवहार कुछ है।

 

सड़क उखड़ी-उखड़ी है चलना कठिन है

जरूरत है कुछ किन्तु उपचार कुछ है।।

 

नये-नये महोत्सव लगे आज होने

बताने को कुछ पर सरोकार कुछ है।।

 

हरेक योजना की कहानी अजब है

कि नक्शे हैं कुछ किन्तु आकार कुछ है।।

 

समस्याओं के हल निकल कम ही पाते

हैं इच्छायें कुछ किन्तु आसार कुछ है।।

 

है घर एक ही, बाँट गये पर निवासी

जो आजाद कुछ है गिरफ्तार कुछ है।।

 

सदाचार, संस्कार, बीमार दिखते

है उद्येश्य  कुछ जब कि आधार कुछ है।।

 

यहाँ  आदमी द्वंद्व में जी रहा है

हैं कर्तव्य कुछ किन्तु व्यापार कुछ है।।

 

जमाने को जाने कि क्या हो गया है

नियम-कायदे कुछ है, व्यवहार कुछ है।।

 

अब अखबार इस बात के साक्षी है

कि घटनायें कुछ हैं, समाचार कुछ है।।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

vivek1959@yahoo.co.in

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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