डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची ‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। उनके  “साप्ताहिक स्तम्भ  -साहित्य निकुंज”के  माध्यम से आप प्रत्येक शुक्रवार को डॉ भावना जी के साहित्य से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ. भावना शुक्ल जी की एक  प्रेरणास्पद एवं भावप्रवण कविता  “अक्सर ”। 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – # 15  साहित्य निकुंज ☆

 

☆ अक्सर

 

अपने ही दिखाते है

सपना

और अपने ही देते हैं धोखा

अक्सर।

 

वक्त देती है

तरह तरह के इम्तिहान

सिखाती है जंग

अक्सर।

 

टूटे हुए अहसास

मिलता है जख्म

दे जाते है सीख

अक्सर।

 

मुश्किलों का तूफान

डराने का

करें प्रयत्न

कोशिश होती विफल

अक्सर।

 

मंजिल की करतें है तलाश

करते रहेंगे प्रयत्न

जीवन में

मानेंगे नहीं हार

अक्सर।

 

असफलता ही

दिलाती सफलता

मिलती है प्रेरणा

अक्सर।

 

© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
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Devender Kumar

Bahut achha likha h ap e ma’am

डॉ भावना शुक्ल

धन्यवाद

सुषमा भंडारी

बहुत खूब

सुषमा भंडारी

बहुत खूब