डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 116 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
ठुमक-ठुमक कर चल रही, बजते है मंजीर।
राधा रानी राधिके, आज बँधाओ धीर।।
पूज रहे हैं मेदिनी, देती हमें अनाज।
बदल रहा परिवेश है, बदला है अंदाज।।
आज नहीं हम कह सके, उससे अपनी बात।
उगलरहा बारूद वह, बदल गई औकात।।
चीवर कितने बदलते, मत बदलो ईमान।
नहीं रहेगा पास कुछ, घट जाएगा मान।।
कलिका रौंदी ही गई, सुनी सभी ने चीख।
कोई नहीं गया वहां, मांग रही थी भीख।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈