श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# युद्ध की मानसिकता #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 70 ☆
☆ # युद्ध की मानसिकता # ☆
जब आसमानों में
फायटर प्लेन उड़ते हैं
विनाशकारी बम
उससे गिरते हैं
विध्वंसक मिसाइलें
दागी जाती है
निरपराध लोगों को
मौत आती है
चारो तरफ कोहराम
मच जाता है
जमीन पर प्रलय छा जाता है
प्रश्रय के लिए
लोग कहाँ कहाँ भटकते हैं
डर और तबाही देख
अपना सर पटकते है
विभत्स फैली हुई लाशें
तो कहीं रूकती हुई सांसें
कितना वीभत्स मंजर
होता है
मानवता के सीने में
चुभता हुआ खंजर होता है
चारों तरफ
रूदन और क्रंदन
बरसते हुए बम दनादन
सदियों से यही तो
होता आया है
शक्तिशाली ने
कमजोर को
हमेशा दबाया है
अपनी झूठी जीत पर
अट्टहास लगाते हैं
अपनी गुंडागर्दी पर
खुशियां मनाते हैं
विश्व हो या,
देश,
समाज
यही तो हो रहा है आज
युद्ध में दोनों पक्ष
एक दूसरे को
तबाह करते हैं
अपने उन्माद में
यह गुनाह करते हैं
क्या शोषण, उत्पीडन,
गुंडागर्दी और हिंसा
समाप्त हो पायेगी ?
क्या विश्वपटल पर
भाईचारा, सद्भभाव
समता और शांति आयेगी /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈