श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आपकी एक भावप्रवण कविता “# स्त्री #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 72 ☆
☆ # स्त्री # ☆
सुबह सुबह मैने पत्नी से कहा –
महारानी जी उठिए
बेहतरीन चाय की चुसकियाँ लीजिये
गरमागरम पकोड़े साथ में खाते हैं
मुझे पत्ता है
तुम्हें हरी मिर्च की चटनी के साथ
खूब भाते हैं
पत्नी ने अलसाये से उठते हुये
घड़ी देख समय का जायजा लिया
मुझपे मुस्कुराते हुये कटाक्ष किया
आज यह सूर्य पूरब की जगह पश्चिम से
कैसे निकला है
एक पत्थर दिल पुरुष का
मन कैसे पिघला है
मैने मुस्कुराते हुये कहा –
तुमने मेरे साथ जीवन बिताया है
हर पल मेरा साथ निभाया है
आज आई है मुझे चेतना
समझ पाया तुम्हारी वेदना
तुम्हारे साथ करता रहा-
जीवन भर पक्षपात
भावनाओं पर आघात
अपने पुरुषत्व पर दर्प
मेरे भीतर छुपा हुआ विषैला सर्प
तुम्हें काटता रहा
दर्द बांटता रहा
फिर भी तुम अजर हो गई
शिवानी की तरह अमर हो गई
महिला दिवस पर
तुम्हारे त्याग, अदम्य साहस
द्रुढ़ इच्छाशक्ति, झूजारु प्रवृति को
श्रद्धा से नमन करता हूँ
अपना अहं छोड़
तुम्हारे समक्ष समर्पण करता हूँ
मैं तुम्हारा सहचर हूँ
तुम्हारा पक्षधर हूँ
तुम्हारी अभिव्यक्ति का
स्त्री शक्ति का
शिक्षा का
अधिकारों की रक्षा का
स्वतंत्रता का
समानता का
क्योंकि,
तुम्हारे ममत्व, स्नेह, संवेदनाऔं से जुड़े
ये रिश्ते, ये घरबार है
तुम्हारे दम पर टिका यह संसार है
प्रिये, तुम ईश्वर का वरदान हो
वाकई “स्त्री” तुम महान हो.
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈