श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं भावप्रवण कविता “# मुक्ति की नई सुबह #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 77 ☆

☆ # मुक्ति की नई सुबह # ☆ 

इस क्रांति सूर्य  ने

नयी रोशनी लाई है

“बाबा” ने हम सबको

जीने की राह दिखाई है

 

तू तोड़ दें बेड़ियां पावों की

तू मत कर आशा इनसे छावों की

इन्होंने ही तों हमें

सदियों से छला है

हमारा समाज, हर पल

हर दिन जला है

अब हमने इन जंजीरों कों

तोड़ने की कसम खाई है

बाबा ने हम सबको

जीने की राह दिखाई है

 

तू कब से अंधकार में सोया है

तूने सब कुछ इसलिए तो खोया है

तू जाग जा अभी भी वक्त है

माना रास्ते बड़े कठिन

और सख्त हैं

वो पिछड़ गया

जिसने देर लगाई है

बाबा ने हम सबको

जीने की राह दिखाई है

 

तू निर्भीक होकर चला

तो चांद तारे साथ चलेंगे

एक सूर्य क्या पथिक

अनेक सूर्य राह में जलेंगे

रोशनी ही रोशनी होगी

तेरे पथ पर

कांप जायेगी यह कायनात

जब तू सवार होगा रथ पर

तू आवाज बुलंद कर

तेरा रूप देख धरती भी थर्राई है

बाबा ने हम सबको

जीने की राह दिखाई है

 

यह “नीली” रोशनी जब

घर घर में जल जायेगी

आभामंडल में दूर तलक

नयी उमंग, नयी चेतना लायेगी

टुकड़े टुकड़े में बिखरे हुए साथी भी

जब साथ में आ जायेंगे

भटके हुए सभी साथी लोग

जब एक हो हाथ मिलायेगें

तब देखना-

इस नयी सुबह ने,

मुक्ति की नई

ज्योत जलाई है

बाबा ने हम सबको

जीने की राह दिखाई है

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments