प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित एक भावप्रवण ग़ज़ल “यहाँ आदमी-आदमी जब बनेगा…”। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ काव्य धारा 81 ☆ गजल – यहाँ आदमी-आदमी जब बनेगा… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
मोहब्बत से नफरत की जब मात होगी,
तो दुनिया में सचमुच बड़ी बात होगी।
यहाँ आदमी-आदमी जब बनेगा,
तभी दिल से दिल की सही बात होगी।
हरेक घर में खुशियों की होंगी बहारें,
कहीं भी न आँसू की बरसात होगी।
चमक होगी आँखों में, मुस्कान मुंह पै,
सजी मन में सपनों की बारात होगी।
सुस्वागत हो सबके सजे होंगे आँगन,
सुनहरी सुबह, रूपहली रात होगी।
न होगा कोई मैल मन में किसी के,
जहाँ पे ये अनमोल सौगात होगी।
सभी मजहब आपस में मिल के रहेंगे,
नई जिंदगी की शुरूआत होगी।
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈