डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे …”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 139 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆
याद कर रही आपको, मन है बड़ा उदास।
आई बारिश झूम कर, बस तेरी है आस।।
भीग रही बरसात में, भीग रही है देह।
बारिश का आए मजा, मिले प्रिये का नेह।।
सुध बुध सारी भूलकर, करती है फरियाद।
भीग रही बरसात में, आया प्रियतम याद।।
तन मन की सुधि है नहीं, भीग रही है राह।
सर से छतरी उड़ रही, बस प्रियतम की चाह।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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