डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है एक युवा विमर्श एवं एक समसामयिक विषय पर आधारित विचारणीय लघुकथा ‘जद्दोजहद’. डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को इस लघुकथा रचने  के लिए सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद  # 96 ☆

☆ लघुकथा – जद्दोजहद ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆

भोपाल रेलवे स्टेशन, रात साढ़े ग्यारह बजे का समय। झेलम ट्रेन आनेवाली थी।  सत्रह – अठ्ठारह साल के दो लड़के दीन – दुनिया से बेखबर रेलवे प्लेटफॉर्म पर  एक कोने में जमीन पर सो रहे थे। वहीं पास में कुछ कुत्ते भी आराम से बैठे थे। किसी को किसी से कोई परेशानी नहीं दिख रही थी। शायद उनका रोज का साथ हो ?  लड़के तो ऐसी चैन की नींद सो रहे थे कि जैसे मलमल की चादर और मुलायम गद्दों पर लेटे हों। झेलम ट्रेन आई और चली गई पर उनकी नींद में कोई खलल पैदा ना  कर सकी। दिन भर के कामों ने शायद उन्हें इतना थका दिया था कि ‘नींद ना जाने टूटी खाट’ वाली कहावत  सार्थक हो रही थी।

पूरे देश  में सेना में ‘अग्निवीरों’ की भर्ती को लेकर चर्चाएं, धरने और आंदोलन  चल रहे थे। युवाओं का आक्रोश सरकारी संपत्ति पर  फूट पड़ा था। खासतौर पर ट्रेनों को निशाना बनाया जा रहा था। अग्निवीर योजना का विरोध करनेवाले युवा देश का भविष्य हैं।  वे सजग हैं अपने भविष्य और अधिकारों को लेकर।  वे लड़ रहे थे और पुरजोर कोशिश कर रहे थे अपनी बात मनवाने की। इधर रेलवे प्लेटफॉर्म के एक कोने में जमीन पर बेखबर सोए इन युवाओं को वर्तमान की जद्दोजहद ने ही चूर –चूर कर दिया।  वे भविष्य से अनजान अपने कंधों पर वर्तमान को ढ़ो रहे हैं।

© डॉ. ऋचा शर्मा

अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001

122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
मनोरमा पंत

शानदार कथा