श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# मै बलिवेदी पर नहीं चढ़ूँगी…  #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 92 ☆

☆ # मै बलिवेदी पर नहीं चढ़ूँगी… # ☆ 

आँखों से बहती हुई

अश्रुओं की धार है

आँचल है तार तार

ज़ख्म बेशुमार हैं

 

बचपन से आज तक

तंज ही तो पाये हैं

जिन्हें अपना समझा

वे ही तो रूलाये हैं

 

यौवन देखकर मेरा

आसमां भी हिल गया

इस बहार में मोहक फूल

मुझ पर ही खिल गया

 

चारों तरफ महक है

भ्रमरों में चहक है

और मैं डरी-डरी

सीने में दहक है

 

राह में दुश्वारियां हैं

घूरती आँखों में चिंगारियां हैं

भेड़िये हैं ताक पर

मेरी भी कमजोरीयां है

 

मैंने यह मान लिया है

मन ही मन ठान लिया है

डर के जीना क्या जीना

लड़ के जीना जान लिया है

 

अब मैं गुमनाम नहीं जलूंगी

छल से बचकर सदा चलूंगी

चाहे कुछ भी कर ले ज़माना

मैं बलिवेदी पर नहीं चढ़ूँगी

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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