श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक विषय पर आधारित महादेव को समर्पित रचना “हर हर महादेव”।)
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 133 ☆
☆ कविता 🌿 हर हर महादेव 🙏
घर घर पूजे सावन में, शिव भोले भंडारी।
आदि अनंत के देव हैं, इनकी महिमा न्यारी।
भांग धतूरा बिल्व पत्र, इनको लगती हैं प्यारी।
दूध दही मधु निर्मल जल से, अभिषेक हुआ भारी।
धूप कपूर करें आरती, बम बम कहे दूनिया सारी।
नंदीगण की करें सवारी, गौरा मैया लागे प्यारी ।
जटाजूट में गंग विराजे, गोद गणपति मूषकधारी।
देव देवालय पूजे जाते, पार्थिव रुप धरे त्रिपुरारी।
शिव शंकर अवघर दानी, त्रिभुवन के अधिकारी।
प्रलय कर्ता कहलाते शंभु, महाकाल त्रिनेत्र धारी ।
सावन का है रुप निराला, शंकर हैं डमरु धारी।
रिमझिम बादल बरस रहे, जन जन के हितकारी।
भक्त लेकर चले कांवरिया, शिव शंकर के धाम ।
मन में श्रद्धा लेकर पहुंचे, सफल हुए सब काम।
भोले शंकर अविनाशी, कैलाश पति के वासी।
जनम जनम से करु तपस्या, शीलू तुम्हारी दासी।
🌿 हर हर महादेव 🌿
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈