श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में एक भावप्रवण मुक्तक ।।प्रेम की नज़र है, तो फिर मुस्कराती हुईआबाद जिन्दगी।। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 30 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। प्रेम की नज़र है, तो फिर मुस्कराती हुईआबाद जिन्दगी।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆
[1]
जियो तो खुशियों की मीठी सौगात है जिन्दगी।
भूलना भी सीखोअच्छी यादों की बारात है जिन्दगी।।
ढूंढो हर पल में खुशियों के लम्हें ही तुम।
प्रेम नज़र से देखो मुस्काती हर बात है जिन्दगी।।
[2]
जिन्दगी और कुछ नहीं बस जज्बात है जिन्दगी।
तुम्हारे अपनी मेहनत की करामात है जिन्दगी।।
भाईचारा मीठी जुबान हमेशा रखना जीवन में।
जान लो बस एक दूजे की खिदमात है जिन्दगी।।
[3]
रोशन चमकती हुई इक आफताब है जिन्दगी।
नफरत की रमक आ जाये तो बर्बाद है जिन्दगी।।
सफ़ल जीवन तुम्हारे अच्छी सोच विचार का ही है।
अगर सकारात्मक तो फिर आबाद है जिन्दगी।।
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464