श्री संजय भारद्वाज
(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के लेखक श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको पाठकों का आशातीत प्रतिसाद मिला है।”
हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है इस शृंखला की अगली कड़ी । ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों के माध्यम से हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)
☆ आपदां अपहर्तारं ☆
आज की साधना – माधव साधना (11 दिवसीय यह साधना कल गुरुवार दि. 18 अगस्त से रविवार 28 अगस्त तक)
इस साधना के लिए मंत्र है –
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
(आप जितनी माला जप अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं यह आप पर निर्भर करता है)
आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
☆ संजय उवाच # 152 ☆ सादी पोशाक के सैनिक 🇮🇳 – 2 ☆
इस शृंखला में आज हम एक और अनन्य सैनिक की चर्चा करेंगे। स्वाभाविक है कि यह सैनिक भी सेना की वर्दी वाला नहीं होगा। लेकिन सादी पोशाक में आने से पहले यह पुलिस की वर्दी में अवश्य रहे। विशेष बात यह कि वर्दी में रहे या सादी पोशाक में, इनके भीतर का सैनिक सदैव सक्रिय रहा।
चर्चा करेंगे सेवानिवृत्त सहायक पुलिस उपनिरीक्षक राजेंद्र धोंडू भोसले की। भोसले मुंबई के डी एन. नगर थाना में 2008 से 2015 तक नियुक्त थे। वहीं से वे रिटायर भी हुए। डी.एन. नगर थाना में उनके सेवाकाल में 166 लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज़ हुई थी। कर्त्तव्यपरायणता का चरम देखिए कि उन्होंने अपनी टीम के साथ इसमें से 165 लड़कियों को ढूँढ़ निकाला।
चरम के भी परम की अनन्य गाथा यहाँ से ही आरम्भ होती है। 22 जनवरी 2013 को उनके थाना में सात वर्षीय एक बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज़ कराई गई थी। केवल यही एक मामला रह गया था जिसे भरसक प्रयास के बाद भी वे सुलझा नहीं पाए। राजेंद्र भोसले 2015 में सेवानिवृत्त हुए। एक बच्ची को न तलाश पाना, उन्हें सालता रहा। उन्होंने बच्ची की एक फोटो अपने पास रख ली। सेवानिवृत्ति के बाद वर्दी के बजाय वे साथी पोशाक धारण करने लगे पर उनके भीतर का पुलिस अधिकारी, अंदर का सैनिक अपने मिशन में जुटा रहा। वे निरंतर बच्ची को तलाशते रहे।
हुआ यूँ था कि बच्ची का अपहरण एक नि:संतान दंपति ने कर लिया था। बाद में अपनी संतान हो जाने पर वे बच्ची से न केवल घर के सारे काम कराने लगे, अपितु अन्य घरों में भी बेबी सिटिंग जैसे कामों के लिए भेजने लगे। कुछ समय पहले अपहरणकर्ता दंपति शहर के उसी इलाके में आकर रहने लगे जहाँ से नौ वर्ष पहले बच्ची का अपहरण किया गया था।
बच्ची के साथ काम करने वाली एक समवयस्क लड़की ने उसकी कहानी जानकर इंटरनेट सर्च किया। उसे अब तक तलाश रहे स्वयंसेवकों के नम्बर तलाशे। अंतत: समाजसेवियों और पुलिस की सहायता से सेवानिवृत्त सहायक पुलिस उपनिरीक्षक राजेंद्र धोंडू भोसले की मुहिम रंग लाई। बच्ची से बातचीत कर उसका वीडियो उसकी माँ को दिखाया गया। पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए अपराधियों को हिरासत में ले लिया। नौ वर्ष बाद 4 अगस्त 2022 को बच्ची अपने असली घर लौट आई।
राजेंद्र धोंडू भोसले की यह कर्तव्यपरायणता कल्पनातीत है, असाधारण है इस महा मानव को सैल्युट और चरणवंदन।
© संजय भारद्वाज
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
नौ वर्ष बाद, रिटायर होने के बाद भी कर्म निष्ठा
की पराकाष्ठा के अंतिम शिखर को छूती हुई इंसानियत की ऊंची मीनार।ऐसे लोगों की कर्मनिष्ठा वंदनीय अभिनंदनीय है यदि इनका कांटेक्ट नंबर उपलब्ध है लेखक महोदय उपलब्ध कराये ताकि हम उनका उत्साह बर्धन कर सकें। तथा लेखक महोदय भी अभिनंदन अभिवादन बधाई के पात्र हैं। जिन्होंने ऐसे व्यक्तित्व के चरित्र को उजागर किया
इस कर्तव्यनिष्ठ, सच्चे कर्मनिष्ठ पुलिस अधिकारी की बात समाचार पत्र में पढ़ने को अवश्य ही मिला , पर आपके लेख ने चार चाँद लगा दिए।
देश में ऐसे भी अधिकारी हैं जो धन लूटने में व्यस्त होते हैं और राजेन्द्र जी जैसे अफसर भी हैं जो सेवा निवृत्त होकर भी कर्तव्य करते हैं सच में ऐसे आदर्श व्यक्ति ही समाज के असली हीरो हैं।