डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के मुक्तक…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 147 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के मुक्तक… ☆
शहीदों ने जो फरमाया वतन के काम आया है।
लहू का तेरे कतरा तो यही पैगाम लाया है।
किए है प्राण निछावर देश की खातिर हमने तो।
हर घर में तिरंगा आज तो फिर से लहराया है।।
🇮🇳
वतन के काम आया है लहू का तेरे कतरा तो
शहीदों की शहादत में लिखा है नाम तेरा तो
तुम्हें शत शत नमन मेरे वतन के हो चमन तो तुम
तेरा सम्मान करते है करे एलान तेरा तो।।।।
🇮🇳
वतन की याद आती है हमारा मन नहीं लगता।
हरा भरा है ये जीवन हमें सावन नहीं लगता।
वतन के वास्ते तुमने किया अपने को ही अर्पण।
तुम्हारे बिन ये जीवन तो हमें उपवन नहीं लगता।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈