श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपका एक मजेदार व्यंग्य – “बारिश तुम कब जाओगी”।)
☆ व्यंग्य # 153 ☆ “बारिश तुम कब जाओगी” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
(इस स्तम्भ के माध्यम से हम आपसे व्यंग्यकार के सर्वोत्कृष्ट व्यंग्य साझा करने का प्रयास करते रहते हैं । व्यंग्य में वर्णित सारी घटनाएं और सभी पात्र काल्पनिक हैं ।यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा। हमारा विनम्र अनुरोध है कि प्रत्येक व्यंग्य को हिंदी साहित्य की व्यंग्य विधा की गंभीरता को समझते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण से आत्मसात करें।)
राजा के देश में पानी नहीं गिर रहा था, गर्मी से हलाकान महिलाओं ने इन्द्र महराज को खुश करने कपड़े उतार कर फेंक दिए, राजा की मर्जी से चारों तरफ टोटके होने लगे, शिव शक्ति मंडल ने एक मंदिर में मेंढक मेंढकी का विवाह धूमधाम से करा दिया, खर्चा हुआ दस बारह लाख। विपक्षियों ने मांग उठाई, विवाह के खर्च में जीएसटी की चोरी की गई है। एक दूसरी पार्टी वाले का कहना था कि शायद राजा ने लगता है कि स्कूलों में नर्सरी और के. जी. के कोर्स से नर्सरी राइम्स में से “रेन रेन गो अवे ” को हटा दिया होगा, तभी बारिश रूठ गई है। कुछ कहने लगे जब राजा को हटाया जाएगा तब बादल खुश होंगे।
हर जगह नये नये टोटकों की बाढ़ आ गई।इन्द्र महराज के दरबार में किसी ने शिकायत कर दी कि नीचे वालों ने एक मेंढक के साथ अत्याचार और अन्याय किया है उसकी इच्छा के विरुद्ध एक मंदिर में मेंढकी से विवाह कर दिया है।इन्द्र महराज ने नीचे झांककर देखा एक गांव में सैकड़ों औरतें उमस और गर्मी से परेशान हैं और बूंद बूंद को तरस रहीं हैं, पसीने से तरबतर महिलाएं धीरे-धीरे अपने वस्त्रों को शरीर से अलग कर रहीं हैं शरीर के पूरे कपड़े उतार कर नाचते और लोकगीत गाते हुए किसी देवता को रिझाने के लिए पूजा पाठ कर रहीं हैं …बरसात के देवता ने झांक कर देखा और तत्काल दूत को आदेश दिया कि बंगाल की खाड़ी के इंचार्ज साहब से बोलो कि हमने आर्डर दिया है कि बंगाल की खाड़ी से बादलों की एक खेप इस गांव की ओर तुंरत रवाना करें …
आदेश का पालन इतना तेज हुआ कि भूखे बादलों को तेज हवा ने ढकेल दिया , बादल भूखे थे,बादलों की माँ समुद्र में रोटी सेंक रही थी उनकी भी परवाह नहीं की ,डर के मारे बादल चलते चलते जैसई रास्ते में ऊंचे पहाड़ मिले ,भूखे मेघ चरने लगे ,तभी पीछे से तेज हवा ने हंटर चलाना चालू किया, गुस्से में आकर इतना बरसे कि रिकार्ड तोड़ दिया, हाहाकार मच गया, करोड़ों रुपए के बांध टूटने की कगार में पहुंच गए, शहर और गांव डूब गए,पुल टूट गये, सड़कें धंस गई,विपक्ष ने कहा हर जगह भ्रष्टाचार हुआ है।
राजा के भक्तों ने आरोपों का खंडन करते हुए विपक्ष पर नये आरोप गढ़ दिये, मीडिया को दंगल कराके पैसा कमाने का अच्छा मौका मिल गया, विपक्ष पर आरोप लगाया गया कि आने वाले चुनावों को देखते हुए इन लोगों ने पैसा खिलाकर इंद्र महराज से सारी बारिश इसी क्षेत्र में कराने का षड़यंत्र रचा,इसलिए इस बार जनता को तकलीफ उठानी पड़ रही है।विवाद बढ़ते देख हाईकमान ने खरीदी मंत्री को जांच करने भेजा,जांच से पता चला कि जुलाई महीने में एक मंदिर में मेंढक मेंढकी का जबरदस्ती विवाह कराया गया था जिसकी शिकायत किसी ने बरसात के देवता को कर दी थी और राजा के इशारे पर रोज तरह तरह के टोटके होने लगे थे। खरीदी मंत्री ने तुरंत अरकाटियों और पंडितों को बुलाया,सलाह मशविरा किया और तय किया गया कि जुलाई में धूमधाम से सम्पन्न हुये मेंढक मेंढकी का तलाक करा दिया जाए, और राजा के दरबार में यज्ञ के दौरान ‘बारिश तुम कब जाओगी’ के सवा लाख मंत्रों का जाप कराया जाए।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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