श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 49 – मनोज के दोहे …. ☆
ब्रह्मचर्य-व्रत-साधना, रहा देवव्रत नाम।
श्री शांतनु के पुत्र थे, अटल प्रतिज्ञा-धाम।।
तन-मन को निर्मल रखे, पूजन व्रत उपवास।
जीवन सुखद बनाइए, हटें सभी संत्रास।।
फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करें अविराम।
गीता में श्री कृष्ण का, सार-तत्व अभिराम।।
तीजा के त्यौहार में, निर्जल व्रत उपवास।
शिव की है आराधना, पावन भादों मास।।
विजयी होता क्रोध पर, जिसने सीखा मौन।
सुखमय जीवन ही जिया, व्यर्थ लड़ा है कौन।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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