श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर एवं विचारणीय माइक्रो व्यंग्य – “चुनाव के बहाने”।)
☆ माइक्रो व्यंग्य # 162 ☆ “चुनाव के बहाने” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
जहां हम लोग रहते हैं उसे जवाहर नगर नाम से जाना जाता है। लोग कहते हैं कि जवाहर नगर एक लोकतांत्रिक कालोनी होती है। लोगों का क्या है वे लोग तो ये भी कहते हैं कि किसी भी शहर की नई बस्ती वह गांधी नगर हो या जवाहर नगर लोकतांत्रिक ही हुआ करती है। मुहल्ले में एक घर शर्मा का है तो बगल में वर्मा का है, तिवारी है, मीणा है, खान है, जैन है, सिंधी है, ईसाई है। धर्म व जाति से परे व मुक्त होकर दो दशक से अधिक हो गये हैं ये सब लोग भाईचारे से रह रहे थे।
अचानक चुनाव आ गये। लोकतंत्र में चुनाव जरूरी हैं और लोकतांत्रिक कालोनियों में चुनाव का अलग महत्व है। मोहल्ले के खलासी लाइन में एक लाइन से बीस घर बने हैं।
चुनाव की घोषणा के बाद से ही हर घर मेंअलग-अलग टीवी चैनल चलने लगे। इन घरों में अलग अलग पार्टी के लोगों का आना जाना बढ़ गया, चैनलों ने और अलग अलग पार्टियों ने मोहल्ले में कटुता इतनी फैला दी कि हर पड़ोसी एक दूसरे से कोई न कोई बात पर पंगा लेने के चक्कर में रहने लगा । गुप्ता जी ने अपने घर के सामने राममंदिर बना लिया तो पड़ोसी कालीचरण ने गोडसे मंदिर बना लिया।उनके पड़ोसी जवाहर भाई ने अपने घर के सामने गांधी जी का मंदिर बनवा लिया। बजरंगबली दीक्षित जी के घर के सामने पहले से विराजमान थे। गली के आखिरी में हरे रंग का झंडा लहराने लगा था, अचानक हरे कपड़े से लिपटी मजार दिखाई देने लगी थी।आम जनता को थोड़ी तकलीफ ये हुई कि सड़क धीरे धीरे सिकुड़ती गई पर मोहल्ले के एक बेरोजगार लड़के को फायदा हुआ उसकी फूल और प्रसाद की दुकान खूब चलने लगी।गली में अलग अलग पार्टी के लोगों का आना जाना बढ़ गया।फूल माला और प्रसाद की दुकान वाले लड़के की पूछपरख बढ़ गई, उसकी दुकान में सब पार्टी के लोग बेनर पम्पलेट दे जाते,वह चुपचाप रख लेता और रात को सब जला देता। चुनाव हुए रिजल्ट आये और प्रसाद वाली पार्टी जीत गयी। गली की सड़क बहुत सकरी हो गई थी,एक दिन बुलडोजर आया और बजरंग बली को छोड़कर सड़क के सभी अतिक्रमण हटा दिए, सड़क चौड़ी हो गई, सबने राहत महसूस की,गली के बीसों घरों के लोग मिलने जुलने लगे, भाईचारा कायम हो गया,फूल माला प्रसाद की दुकान घाटा लगने से बंद हो गई। जवाहर नगर वाला बोर्ड दीनदयाल नगर में तब्दील हो गया। सबने चुपचाप देखा और आगे बढ़ गये।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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