श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।वरिष्ठ नागरिक, जिंदगी की शाम नहीं, इक नया सवेरा है।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 41 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। वरिष्ठ नागरिक, जिंदगी की शाम नहीं, इक नया सवेरा है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
जिंदगी की शाम नहीं इक नया सबेरा है।
यह तो जीवन की दूजी पारी का फेरा है।।
अनुभव और दुनियादारी का है अवसर।
हर पल हो उपयोग कि चार दिन का डेरा है।।
[2]
बदलते समय से अपना नाता जोड़ना है।
नई पीढ़ी को सही दिशा में मोड़ना है।।
अनुभव संपन्न विनम्र और संयमशील उम्र यह।
भूले बिसरे शौकों का हर पत्ता अब तोड़ना है।।
[3]
दुनियादारी का हर कर्ज लौटाने का वक्त है।
रिश्ते नाते का हर फर्ज निभाने का वक्त है।।
इस सफर ने जाने अंजाने सिखाया बहुत कुछ।
किस्से कहानी की हर तर्ज सुनाने का वक्त है।।
[4]
निराशा असंतोष को जीवन में पाना नहीं है।
अवसाद अकेलापन जीवन में लाना नहीं है।।
बुढ़ापा नहीं वरिष्ठता को हमें है अपनाना।
अपने अनमोल दोस्तों को छोड़ जाना नही है।
[5]
हर लम्हा जिंदगी जीने का अरमान जगाना है।
छोटी छोटी खुशी का भी जश्न मनाना है।।
उम्र हमारी सोच पर हावी ना होने पाए।
एक ही मिली जिंदगी कि यादगार बनाना है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464