श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “#खाली हाथ जाना है…#”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 106 ☆
☆ # खाली हाथ जाना है… # ☆
जीवन की आपाधापी में
क्या खोना क्या पाना है
जन्म लिया है इस धरती पर
तो सब को एक दिन जाना है
कांटों को सहलाओ तुम
फूलों सा मुस्कराओ तुम
जीवन जो मिला है तो
परोपकार में लगाओ तुम
स्वर्ग यहीं है नरक यहीं है
कर्म भाग्य की रेखा है
पाप, पुण्य सब साथ है तेरे
कल को किसने देखा है
जब तक सांस चलेगी तब तक
हर पल एक जिज्ञासा है
कभी खुशी तो कभी गम है
यही जीवन की परिभाषा है
कैसा घमंड, कैसा अहंकार
यह तो सब फानी है
याद रहते हैं वहीं दुनिया में
जिनकी सबसे अलग कहानी है
धन संपदा, पद प्रतिष्ठा
यहीं पर रह जाना है
खाली हाथ आया था जग में
खाली हाथ ही जाना है/
© श्याम खापर्डे
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