आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित “~ सॉनेट ~ तुलसी ~”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 122 ☆
☆ सॉनेट ~ तुलसी ~ ☆
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तुलसी जग कल्याणिका।
रामा-श्यामा रूप मनोहर।
पति हितकारी साधिका।।
आत्मशक्ति की लिए धरोहर।।
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छली विश्वपालक कर दंडित।
देह त्याग हो गई अमर है।
है त्रिलोक में महिमामंडित।।
चढ़ी छली के भी सिर पर है।।
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भाव-भक्तिमय जीवन अनुपम।
अंग हरेक रोग उपचारक।।
तन-मन स्वस्थ्य करे यह माँ सम।
दिव्यौषधि शत-शत गुणधारक।।
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शीश चढ़ा हर आत्मा हुलसी।
काल हलाहल अमरित तुलसी।।
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© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
१८-१२-२०२२, ७•३२, जबलपुर
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