श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 64 – मनोज के दोहे ☆
1 चाँदनी
रात चाँदनी में मिले, प्रेमी युगल चकोर।
प्रणय गीत में मग्न हो, नाच उठा मन मोर।।
2 स्वप्न
स्वप्न देखता रह गया, लोकतंत्र का भोर।
वर्ष गुजरते ही गए,मचा हुआ बस शोर।।
3 परीक्षा
घड़ी परीक्षा की यही, दुख में जो दे साथ।
अवरोधों को दूर कर, थामें प्रिय का हाथ।।
4 विलगाव
घाटी के विलगाव में, कुछ नेतागण लिप्त।
उनके कारण देश यह, भोग रहा अभिशप्त ।।
5 मिलन
प्रणय मिलन की है घड़ी, गुजरी तम की रात।
मिटी दूरियाँ हैं सभी, नेह प्रेम की बात।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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