श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज नव वर्ष पर प्रस्तुत हैं आपकी एक अतिसुन्दर, भावप्रवण एवं विचारणीय कविता “सूरज को हो गया निमोनिया…”। )
☆ तन्मय साहित्य #164 ☆
☆ सूरज को हो गया निमोनिया… ☆
सूरज को हो गया निमोनिया
जाड़े की बढ़ गई तपन
शीत से सिहरते साये
धूप पर चढ़ी है ठिठुरन।
शीत लहर का छाया है कहर
सन्नाटे में खोया है शहर
अंबर के अश्रु ओस बूँद बने
बहक रहे शब्द और लय बहर,
थकी थकी रक्त शिराएँ बेकल
पोर-पोर मची है चुभन
धूप पर चढ़ी है ठिठुरन।
सिकुड़े-सिमटे तुलसी के पत्ते
अलसाये मधुमक्खी के छत्ते
हाड़ कँपाऊ ठंडी के डर से
पहन लिए ऊनी कपड़े-लत्ते,
कौन कब हवाओं को रोके सका
चाहे कितने करें जतन
धूप पर चढ़ी है ठिठुरन।
अहंकार बढ़ गया अंधेरे का
मंद तापमान सूर्य घेरे का
दुबके हैं देर तक रजाई में
नहीं रहा मान शुभ-सबेरे का,
मौसम के मन्सूबों को समझें
दिखा रहा तेवर अगहन
धूप पर चढ़ी है ठिठुरन।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈