डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 166 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
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कानों में मिसरी घुले,नन्हें की किलकार।
महक उठी घर अंगना,सांसों से फुलवार।।
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आने से तेरे हुए ,सभी स्वप्न साकार।
मन आनंदित हो उठा,छाने लगी बहार।।
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तुझको मैं तो देखकर,होने लगी निहाल।
बिन तेरे कुछ भी नहीं,रहती थी बेहाल।।
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पाकर तुझको मिल गई,एक नई मुस्कान।
आने से तेरे मिली, इक माँ की पहचान।।
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तेरे अधरों पर बनी रहे, निश्छल सी मुस्कान।
उच्च शिखर पर मिल रहे, नित नूतन सोपान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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