हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 24 – ज़िन्दगी ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

 

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय  एवं  साहित्य में  सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की  अगली कड़ी में  उनकी एक कविता  “ज़िन्दगी। आप प्रत्येक सोमवार उनके  साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 24 ☆

☆ कविता – ज़िन्दगी    

 

किसी ने कहा

जिंदगी है खेल

कोई पास

कोई फेल

पर उन्होंने

जिंदगी खपा दी

शब्दों को चुनने में

शब्दों को तराशने में।

 

उन्हें गर्व हुआ

अपनी होशियारी पर

तभी नासमझ समय

अट्टहास करते बोला

“मूर्ख!

तुमने नष्ट की है जिंदगी

अपने स्मारक के

पत्थर जुटाने में।”

 

© जय प्रकाश पाण्डेय

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