श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है  गीत “भगत सिंह सुखदेव जी राजगुरू…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 71 – गीत – भगत सिंह सुखदेव जी राजगुरू… ☆

 भगतसिंह सुखदेव जी, राजगुरू हैं शान ।

फाँसी में हँसते चढ़े, प्राण किया बलिदान ।।

 

            भारत माँ के लाड़लों, को हम करें प्रणाम ।

            बलिदानों से देश ने, पाया आज मुकाम ।।

 

ब्रिटिश जजों ने लिख दिया, फॉंसी का आदेश ।

तब तीनों थे हँस रहे, माथे शिकन न क्लेश ।।

 

            कह कर वंदे मातरम, नाच उठे थे लाल ।

            इक दूजे के गले लग, झूमे थे दे ताल ।।

 

कलम तोड़कर जज उन्हें, देख रहे थे घूर ।

सजा मौत की सुन सभी, नाचे थे भरपूर ।।

 

            कोर्ट देखता रह गया, उत्सव जैसा हाल ।

            कैदी तो सुन कर सजा, हो जाते बेहाल ।।

 

हतप्रभ न्यायाधीघ थे, देख मौत नजदीक ।

किस माटी के तुम बने, जो दिखते निर्भीक ।।

 

            हँस कर तीनों ने कहा, हमें देश से प्यार ।

            मातृ भूमि के वास्ते, लाखों हैं तैयार ।।

 

सुनकर उनकी बात को, सहमा जज दरबार ।

लगे देखने द्वार में, कम हैं पहरेदार ।।

 

            देश प्रेम की वह छटा, तनमन भरी उमंग ।

            मस्ती में वे झूमकर, बजा रहे थे चंग ।।

 

उनको निर्भय देखकर, जनता हुयी निहाल।

बच्चे बूढ़े जग गये, तब आया भूचाल ।।

 

            फंदे को फिर चूमकर, डाल गले में हार ।

            जिन्दा आँखें रो पड़ीं, दुश्मन भी बेजार ।।

 

सत्ता भय से ग्रस्त थी, मुलजिम बना वजीर ।

अंधकार की आड़ में, खाक हुई तस्वीर ।।

 

क्रांति मशालें जल उठीं, उपजा था आक्रोश।

            अंग्रेजों के कृत्य से, जन-मन में था रोष ।।

 

काँप उठी सत्ता तभी, देखा जन सैलाब ।

सारी जनता जग उठी, गिन-गिन लिया हिसाब ।।

 

            सतलज की माटी कहे, नव पीढ़ी से आज ।

            याद रखो बलिदान को, कैसे मिला सुराज ।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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