डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना– यह गुलाब सा गात…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 135 – यह गुलाब सा गात…
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यह गुलाब सा गात तुम्हारा
तन मन में भरता सुगंध है।
दृष्टि विमोहित देखा करती
रूप तुम्हारा
एक जगह एकत्रित कैसे
इतना सारा
मुक्त कुंतला केश तुम्हारे
हैं सुरभीले
रक्त वर्ण से होंठ तुम्हारे
लाज लजीले।
नील झील से नयन तुम्हारे
बोल अबोले
मधुता की यह मूर्ति देखकर
संयम डोले।
चंदन चर्चित चारु चाँदनी
चाँद चकोरी
रंग प्रभा ने स्मृतियों की
बाँह मरोरी।
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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