डॉ राकेश ‘ चक्र’
(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी की अब तक 131 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत। इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिया जाना सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ (धनराशि ढाई लाख सहित)। आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।
आप “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 157 ☆
☆ बाल कविता – मधुमक्खी और फूल ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆
मैं मधुमक्खी मुझको भाएँ
खिलते हुए सुहाने फूल।
महक सूँघ कर मैं आ जाती
चाहे हों कितने ही शूल।।
एक हमारी रानी मक्खी
इक है राजा अपना होता।
शेष सभी श्रमिक हैं मक्खी
श्रम ,अनुशासन सपना होता।।
नाम हमारे कई एक हैं
मधुप, मक्षिका और उड़ान।
माखी भी मुझको हैं कहते
उड़ते तेज गति भर शान।।
एक हमारा घर होता है
जिसको छत्ता सब कहते हैं।
अपने – अपने काम करें सब
मिलजुल करके हम रहते हैं।।
अनुशासन में बँधे हुए हम
फूलों का पराग हम लाते।
कुछ पराग हम खाकर के ही
जीवन पथ पर बढ़ते जाते।।
शहद हमारा है बलदायक
थोड़ा – थोड़ा सब ही खाओ।
तन- मन में भर जाए ऊर्जा
जीवन में नित ही सुख पाओ।।
कठिन परिश्रम हम सब करते
बच्चो! तुम वैसे ही करना।
कभी न हममें पत्थर मारो
कभी नहीं तुम हमसे डरना।।
© डॉ राकेश चक्र
(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)
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