श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।इसी जन्म में हर करनी का हिसाब होता है।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 65 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।इसी जन्म में हर करनी का हिसाब होता है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
हमेशा खुश रहो ख्वाबों और ख्यालों में।
जिंदगी के हर जवाब और सवालों में।।
हर हालात में मोड़ लीजिए जिंदगी ऐसे।
खुश ही रहो तर और सूखे निवालों में।।
[2]
चार दिन की यह जिंदगी हंस कर निभाना है।
थोड़ा थोड़ा रोज़ खुद कोअच्छा बनाना है।।
एक मूरत की तरह ही रोज़ गढो खुद को।
फिर पूरी तरह खुद को संवार कर लाना है।।
[3]
तन से सुंदर नहीं पर मन से भी सुंदर बनना है।
अपने को दूसरों लिए उपयोगी सिद्ध करना है।।
गर उड़ना तो क्या कद देखना आसमान का।
परों से नहीं हौसलों से ऊंची उड़ान भरना है।।
[4]
बबूल की तरह नहीं आम की तरह उगना है।
फल लगे पेड़ सा औरों के लिए झुकना है।।
हर दिल के कोने में जगह बनानी है अपनी।
हर परमार्थ कार्य के लिए जीवन में रुकना है।।
[5]
तेरी वाणीऔर काम से ही नामो खिताब होता है।
प्रभु पास खुला तेरा हर खाता किताब होता है।।
बस अच्छे कर्म अच्छी यादें जायेंगी साथ तेरे।
इसी जन्म में हर करनी का हिसाब होता है।।
☆
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464