श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण रचना “जीवन के हैं रंग निराले…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 79 – जीवन के हैं रंग निराले… ☆
जीवन के हैं रंग निराले।
कहीं अँधेरे कहीं उजाले।।
घूम रहा कोई कारों में,
कहीं पगों में पड़ते छाले।
रहता कोई है महलों में,
किस्मत में लटके हैं ताले
प्रजातंत्र भी अजब खेल है,
जन्म कुंडली कौन खँगाले।
नेताओं की फसल उगी है,
सब सत्ता के हैं मतवाले।
कहने को समाज की सेवा,
दरवाजे पर कुत्ते पाले।
गंगोत्री से बहती गंगा,
राहों में मिल जाते नाले।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002
मो 94258 62550
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈