श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# ठहाके लगाओ दोस्तों… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 134 ☆
☆ # ठहाके लगाओ दोस्तों… # ☆
जिंदगी के दो पल मिले हैं
गुनगुनाओ दोस्तों
बीत गया उसे भूल जाओ
ठहाके लगाओ दोस्तों
जो करना था हमने किया
हर लम्हा जी भरकर जिया
कभी फूलों में मशरूफ रहे
कभी कांटों का जहर पिया
फूलों का रस पीकर
भंवरे सा मुस्कुराओ दोस्तों
कौन कहता है बुढ़े हो गये
कौन ये झूठे किस्से गढ़ रहा है
चढ़ती उमर का नशा है भाई
धीरे-धीरे चढ़ रहा है
पहन कर बरमोड़ा, टी-शर्ट
दौड़ लगाओ दोस्तों
शाम को पत्नी के संग
नियमित सैर करा करो
एकांत में हाथों में हाथ धरे
आंखें चार किया करो
छोड़ कर शर्मो हया
पत्नी पर प्यार लुटाओ दोस्तों
दोस्तों की महफ़िल सजाओ
खूब ऐश किया करो
एक दो पेग लेकर
चुटकुले पेश किया करो
पेंशन तुम्हारी है
खुद पर उड़ाओ दोस्तों
दुनिया की चिंता मत करो
कि किसने पीछे क्या कहा ?
सब मतलब के मारे हैं
हमने तो हर पल यही सहा
दुनिया को आंखें मूंदकर
ठोकर लगाओ दोस्तों
ना किसी की चिन्ता
ना अब किसी का डर है
मृत्यु तो अटल है
यहां कौन है जो अमर है
जो दिल में उतर जाये
उससे प्रीत लगाओ दोस्तों /
© श्याम खापर्डे
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