डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – वशीकरण है तेरा…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 143 – वशीकरण है तेरा…
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वशीकरण है तेरा, शरणागत मन मेरा।
लम्बी गहरी मरूस्थली में
भटक भटक भरमाया
जाने किसकी पुण्यप्रभा से
हरित भूमि को पाया
आनत हूँ आश्चर्यचकित हूँ, किसने दिया बसेरा।
धूल धूसरिता रही ज़िन्दगी
एक रंग था काला
मुझको कुछ भी पता नहीं था
कैसा है उजियाला।
दिव्य ज्योति अम्बर से उतरी, नूतन दृश्य उकेरा।
महक उठा है मन में मधुवन
अद्भुत रास रचा है
वेणुगीत सा जीवन लगता
या फिर वेद ऋचा है।
संभव हुआ असंभव कैसे, निश्चय जादू तेरा।
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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