श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “सजल – अग्नि सदा देती है आँच…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 84 – सजल – अग्नि सदा देती है आँच… ☆

अग्नि सदा देती है आँच ।

ज्ञानी तू, पुस्तक को बाँच।।

 

देख-सम्हल कर, चलें सभी,

राहों में बिखरे हैं, काँच।

 

क्यों करता तन पर अभिमान

ईश्वर करता सबकी जाँच।

 

नाच न आए आँगन टेढ़ा,

जीवन में तुम बोलो साँच।

 

उमर बढ़ी चलो सम्हल कर,

कभी न पथ पर भरो कुलाँच

 ©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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