श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ मुक्तक ☆ ।।बाद मरने के भी एक उम्र जीता है आदमी।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

नव प्रभात के लिए  अंधकार  जरूरी है।

इंद्रधनुष के लिए वर्षा  बौछार जरुरी है।।

जरूरी है  इतिहास   बनाने   को संघर्ष।

गढ़ने को पत्थर हौसला औजार जरूरी है।।

[2]

हर क्षण हर पल बदल रही है यह दुनिया।

मंगल चांद ग्रह की ओर चल रही है दुनिया।।

लेकिन प्रगति मखमल में   घृणा के पैबंद।

हर पल लड़ने को   मचल रही है दुनिया।।

[3]

बदलाव लाने पहले खुद बदलना जरूरी है।

नफरत के दल दल में संभलना जरूरी है।।

पहले संवरकर संवार सकते दूसरे को आप।

ऊंचा पाने को जोश का मचलना जरूरी है।।

[4]

शत्रु से निबटने को वैसा ही छल जरूरी है।

सुंदर भविष्य के लिए अच्छा कल जरुरी है।।

बल के साथ ही अंदर का खल मिटाना होगा।

बढ़ने से पहले हर समस्या का हल जरूरी है।।

[5]

दिल की जीत कुशल व्यवहार भाषा जरूरी है।

प्रगति साथ मानवता की परिभाषा जरूरी है।।

दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरी है   हर काम के लिए।

जीत लिए पहले जीत कीअभिलाषा जरूरी है।।

[6]

दोस्ती के लिए भी    सच्चा सरोकार जरूरी है।

जीवन में कुछ   परमार्थ परोपकार जरूरी है।।

बाद मरने के भी कुछ   उम्र जीता है आदमी।

इसके लिए होना इक अच्छा किरदार जरूरी है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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