श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “सजल – वक्त भी ठहरा हुआ है… …”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 89 – सजल – वक्त भी ठहरा हुआ है… ☆
(सजल :: मात्रा – 14, समांत – हरा, पदांत –हुआ है)
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मौन कुछ गहरा हुआ है।
वक्त भी ठहरा हुआ है।।
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आइए हम साथ जी लें,
प्रेम का पहरा हुआ है।
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गर्म साँसों की दहक से,
सुर्ख सा चेहरा हुआ है।
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थाम रक्खो हाथ मेरा,
सूर्य अब बहरा हुआ है।
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कामनाओं की इमारत,
विजय का सेहरा हुआ है।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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