श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – “कलम के सिपाही”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 145 ☆
☆ लघुकथा – “कलम के सिपाही” ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆
“यह पुरस्कार जाता है देश की बॉर्डर पर देश के दुश्मन आतंकवादियों से लड़ कर अपने साथियों की जान बचाने वाले देश के बहादुर सिपाही महेंद्र सिंह को.”
“इसी के साथ यह दूसरा पुरस्कार दिया जाता है देश के अन्दर दबे-छुपे भ्रष्टाचार, बुराई और काले कारनामों को उजगार कर देश की रक्षा करने वाले कर्मवीर पत्रकार अरुण सिंह को.”
यह सुनते ही अपना पुरस्कार लेने आए देश के सिपाही महेंद्र सिंह ने एक जोरदार सेल्यूट जड़ दिया. मानो कह रहा हो कि जंग कहीं भो हो लड़ते तो सिपाही ही है.
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© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
०८/०५/२०१५
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