(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक आलेखकिताबों के सफों में  भोपाल)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 223 ☆

? आलेख – किताबों के सफों में  भोपाल?

दुनियां की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना का साक्षी रहा है अपना भोपाल. भोपाल देश के साथ १५ अगस्त १९४७ को आजाद नहीं हुआ था. स्त्री शक्ति की कितनी ही बातें आज होती हैं किन्तु अपना भोपाल वह है जहां बरसों पहले बेगमों का शासन रहा है वे बेगमें जो युद्ध कला जैसे घुड़सवारी और हथियार चलाने में भी दक्ष थीं. भोपाल में लगभग 170 सालों तक बेगम शासकों का शासन रहा है. बेगम शासकों ने भोपाल बटालियन की स्थापना की थी. यह सेना पहली गैर यूरोपीय सेना थी जो युद्ध लड़ने के लिए फ्रांस गई थी. अपने भोपाल की इस बटालियन को प्रथम विश्वयुद्ध में विक्टोरिया क्रॉस और स्वतंत्रता के बाद के काल में निशान-ए-हैदर का सम्मान दिया गया था. ये सारे रोचक तथ्य आज की पीढ़ी को पुस्तों से ही मिल सकते हैं. पर किताबों के सफों पर भोपाल की चर्चा उतनी नहीं मिलती जितनी होनी चाहिये. अंग्रेजी में लिखी गई किताब है ‘निजाम-ए-भोपाल मिलेट्रीज ऑफ भोपाल स्टेट, ए हिस्टॉरिकल पर्सपेक्टिव” इसके लेखक हैं लेफ्टिनेंट जनरल मिलन नायडू.  भोपाल के सैन्य इतिहास पर लिखी गई उनकी यह किताब भोपाल वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है.

अंग्रेजी की ही एक और पुस्तक है “फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल: द एपिक स्टोरी ऑफ द वर्ल्ड्स डेडलीएस्ट इंडस्ट्रियल डिजास्टर” विदेशी लेखकों  डोमिनिक लैपिएरे और जेवियर मोरो की 1984 की भोपाल आपदा पर आधारित यह किताब १९८४ की भयावह गैस त्रासदी को शब्द चित्रों में बदलने का मार्मिक काम करती है. अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कीटनाशक, सेविन के आविष्कार का वर्णन पुस्तक में मिलता है , जिसमें मिथाइल आइसोसाइनेट और α-नेफ्थॉल का उपयोग किया गया था. यही मिथाइल आइसोसाइनेट गैस भोपाल की त्रासदी बनी थी जिसमें असमय हजारों लोगों की भयावह मृत्यु हुई थी. इस किताब से आज की पीढ़ी को ज्ञात हो सकता है कि कैसे तत्कालीन रेलवे स्टेशन मास्टर ने त्वरित बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुये एक ट्रेन को भोपाल स्टेशन पर रुकने से रोक कर हजारों यात्रियो की जान बचाई थी.

हिन्दी में लिखी गई ओम प्रकाश खुराना की महत्वपूर्ण किताब है “भोपाल हमारी विरासत”. भोपाल से सम्बंधित लगभग सभी विषयों पर संक्षिप्त जानकारी, शोधकर्ताओं व् राजनीतिज्ञों के लिए पठनीय सामग्री इस किताब में मिलती है.  पर्यटकों के लिए यह जानकारी से भरपूर पुस्तक है. इसमें भी  गैस त्रासदी का सजीव वर्णन किया गया है.  नगर का विकास, भोपाल की बोली, यहां की गंगा जमुनी तहजीब, खान पान और त्योहारों का ब्यौरा भी किताब में मिलता है.डॉo नुसरत बानो रूही की मूलतः उर्दू में लिखी गई किताब है “जंगे आज़ादी में भोपाल”. इसका हिन्दी तर्जुमा किया है शाहनवाज़ खान ने. किताब स्वराज संस्थान भोपाल से छपी है. 1930 से लेकर 1949 तक की समयावधि में जंगे आज़ादी में भोपाल के हिस्से के बारे में दुर्लभ और प्रामाणिक जानकारी प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी खान शाकिर अली खान ने दी है जिसे डा नुसरत बानो ने लिपिबद्ध किया है. ” भोपाल सहर.. बस सुबह तक”  सुधीर आज़ाद की फिक्शन बुक है. जिसमें उन्होने

एक हादसे की ज़मीन पर मार्मिक प्रेम कहानी बुनी है. भोपाल गैस त्रासदी लेखक की संवेदनाओं में कहीं गहरी उतरती हुई अनुभूत होती है और लेखक ने हर मुमकिन तरीक़े से इस पर काम किया है.

बिना शरद जोशी की पुस्तक “राग भोपाली” की  बात किये किताबों के पन्नो पर उकेरे गये भोपाल की तस्वीर अधूरी रह जायेगी. विशिष्ट व्यंग्यकार शरद जोशी ने बड़ा समय भोपाल में गुजारा है. लिहाजा भोपाल के विषय में समय समय पर लिखे गए उनके कई व्यंग्य लेख इस पुस्तक में समेटे गये हैं. भोपाल की पहाड़ियों पर लहराती गजल के दुष्यंत कुमार के शेर हैं ” सामान कुछ नहीं है फटे-हाल है मगर, झोले में उस के पास कोई संविधान है. फिस्ले जो उस जगह तो लुढ़कते चले गए, हम को पता नहीं था कि इतनी ढलान है “. बहरहाल भोपाल के बृहद अतीत पर और बहुत कुछ लिखा गया होगा, पर जो लिखा गया है उससे बहुत ज्यादा लिखा जाना चाहिये. क्योंकि भावी पीढ़ीयों के लिये किताबें ही होती हैं जिसे हम छोड़ जाते हैं.

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798

ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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