श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण रचना “अंतरिक्ष में लिख दिया…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 95 – अंतरिक्ष में लिख दिया… ☆
भारत-माँ ने भ्रात को, राखी भेजी खास।
लाज रखी है चन्द्र ने, मामा तुम बिंदास।।
अंतरिक्ष में लिख दिया, भारत ने अध्याय।
दक्षिण ध्रुव में पहुँच कर, कहा चंद्रमा पास।।
तेईस सन तेइस तिथि, माह-गस्त बुधवार।
चंद्रयान थ्री भा गया, बिसरे सब संत्रास।।
यात्रा लाखों मील की, पाया खास मुकाम।
चालिस दिन की राह चुन,पहुँचा चंद्र निवास।
मान दिलाया जगत में, इसरो की है शान।
बुद्धि ज्ञान विज्ञान से, विश्व गुरू नव आस।।
अनुसंधानों में निपुण, मानव हित कल्याण।
इसरो भारत देश का, विश्व चितेरा खास।।
शोधपरक विज्ञान से, भारत देश महान।
सबकी आँखें हैं लगीं, जो थे बड़े निराश।।
सोम-विजय स्वर्णिम बना,जिसके मुखिया सोम।
विश्व क्षितिज में छा गए, जग को आए रास।।
चलें टूर पर हम सभी, कहें न चंदा दूर।
मामा की लोरी सुने, करें हास परिहास।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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