श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 17 ☆
☆ कविता ☆ “अलविदा…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
आयेगा वो दिन
कहूंगा अलविदा
रस्म दुनियां की
यह भी निभाऊंगा
हसूँगा तुझ से
यूहीं आंखें मिला के
देख ले जी भर के
धागे कच्चे तोड़ दे
गर है तेरी ख़ुशी
तो चूम लूँ ये जुदाई
जान ले इक बार
इस दिल की गहराई
दिल है बड़ा यारा
है प्यार ये खरा
सजाले गले में
तोहफ़ा ये हमारा
मौत तेरी कैसे बनूँ
कहते है जां तुझे
जा जी ले मेरी जां
है अलविदा तुझे
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈