डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 202 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
☆
उद्योग
बढ़ता है उद्योग जब, करते खूब प्रचार।
दिन दूनी निशि चौगुनी, बढ़े बहुत व्यापार ।।
☆
पहचान
वाणी सबकी हो मधुर, वही बने पहचान।
शब्द -शब्द से झर रहे, खिले मधुर मुस्कान।।
☆
अथाह
प्यार अथाह नहीं करो, जाना मुझको दूर।
अभी परीक्षा शेष है, जाने को मजबूर ।।
☆
हेलमेल
हेलमेल परिवार में, खिलते रंग हजार।
खुशियों के फूल बरसे, फूलों सा व्यवहार।।
☆
उजियार
चाँद चमकता गगन में, फैल रहा उजियार।
चाँद समेटे चाँदनी, उसका है अधिकार।।
☆
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈