श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# तो ही इंकलाब लाओगे? #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 151 ☆

☆ # दिखावे की दुनिया #

नये जमाने का नया रिवाज़ है

नये रिश्तों से भरा आज है

सब संवेदनहीन बन गए

टूटते रिश्तों का आगाज है

 

कौन है अपना कौन पराया

हमको अब समझ में आया

अब तो बहुत देर हो चुकी

ईश्वर ने क्या दिन दिखाया ?

 

जिनके लिए लड़े रात-दिन

जिनके सपने गढ़े रात-दिन

जिनको बुलंदी पर पहुंचाया

जिनकी किस्मत मढ़े रात-दिन

 

वो हमको वृध्दाश्रम लायें

आखरी प्रहर में यह दिन दिखाये

तोड़कर सारी मोह माया

पल भर में बन गये पराये

 

घुट घुट कर जी रहे हैं 

हर पल ज़हर पी रहे हैं 

किससे कहें व्यथा अपनी

होंठों को अपने सी रहे हैं 

 

वो –

जीते-जी नहीं करते हैं दर्शन

मरने पर यह करेंगे तर्पण

श्राद्ध पक्ष में पंच पकवान बनाकर

काले कौवों को करेंगे अर्पण

 

दिखावे की दुनिया है

दिखावे का प्यार है

दिखावे की है सब मान्यताएं

दिखावे का यह संसार है /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments