श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 107 – मनोज के दोहे… ☆
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1 मार्गशीर्ष
मार्गशीर्ष शुभ मास यह, मिलता प्रभु सानिध्य।
भक्ति भाव पूजन हवन, ईश्वर का आतिथ्य ।।
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2 हेमंत
छाई ऋतु हेमंत की, बहती मस्त बयार।
मोहक लगता आगमन, झूम रहा संसार।।
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3 अदरक
अदरक औषधि में निपुण, वात पित्त कफ रोग।
तन को रखे निरोग वह, कर मानव उपयोग।।
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4 चाय
विकट ठंड में चाय की, सबको रहती चाह।
अदरक वाली यदि मिले, सब करते हैं वाह।।
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5 रजाई
गया रजाई का समय, हल्के कंबल देख।
ठंड नहीं अब शहर में, मौसम बदले रेख।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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