श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपके “लो, फिर से एक साल रीत गए…”।)
☆ तन्मय साहित्य #211 ☆
☆ लो, फिर से एक साल रीत गए… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
(आँग्ल नव वर्ष की आप सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ एक काव्य रचना..)
लो,फिर से एक साल रीत गए
आभासी सपनों को बहलाते
शातिर दिन चुपके से बीत गए।
साँसों की सरगम का
एक तार फिर टूटा
समय के चितेरे ने
हँसते-हँसते लूटा,
यादों के सतरंगी कुछ
छींटे, छींट गए। शातिर दिन……
कहने को आयु में
एक अंक और बढ़ा
खाते में लिखा गया
अब तक जो ब्याज चढ़ा,
कुछ सपने कुछ अपने
अंतरंग मीत गए। शातिर दिन……
मिलन औ विछोह
जिंदगी के दो अंग है
सुख-दुख के मिले जुले
भिन्न भिन्न रंग है,
जीत-जीते अब तो
हम जीना सीख गए, शातिर दिन……
मन की अभिलाषा
आगे,आगे बढ़ने की
जीवनपथ के अभिनव
पाठ और पढ़ने की,
अभिनंदन, वर्ष नया
लिखें मधुर गीत नये,
शातिर दिन बीत गए।
☆
☆ ☆ ☆ ☆ ☆
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈