श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रस्तुत है आ गए आ गए आज मेरे प्रभु…। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 198 ☆
☆ आ गए आ गए आज मेरे प्रभु… ☆ श्री संतोष नेमा ☆
(22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर)
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आ गए आ गए आज मेरे प्रभु, आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
आ गए आ गए आज मेरे प्रभु, आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
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ए भक्तों जरा काम इतना करो
ए भक्तों जरा काम इतना करो
प्रभु राम की तुम आज पूजा करो
प्रभु राम की तुम आज पूजा करो
एक मंदिर बना ढल गया शाम -ए-गम
एक मंदिर बना ढल गया शाम -ए-गम
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
आ गए आ गए आज मेरे प्रभु,
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
*
देख नजारा बहुत लोग हैरान है
देख नजारा बहुत लोग हैरान है
सदियों से जिनमें बसी जान है
सदियों से जिनमें बसी जान है
ऐसे मौके जमाने में मिलते हैं कम
ऐसे मौके जमाने में मिलते हैं कम
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
आ गए आ गए आज मेरे प्रभु,
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
*
सदियों की तड़फ को करार आ गया
सदियों की तड़फ को करार आ गया
उनके दर्शन हुए,हमको प्यार आ गया
उनके दर्शन हुए,हमको प्यार आ गया
याद करता रहा,मैं उन्हे हर-कदम
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
आ गए आ गए आज मेरे प्रभु,
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
संतोष याद करता रहा हर कदम
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
आ गए आ गए आज मेरे प्रभु,
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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