श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 21 ☆
☆ कविता ☆ “घाव…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
कैसी जंग कैसी जीत?
जब नहीं पास मनमीत ।
कैसा ताज कैसा अभिमान?
बिना आग कौन धनवान।
कैसा सिर कौन सा ताज?
दिल यह पत्थर समान ।
कैसी शान कैसा कांचनाहार?
हार यह सर्प समान ।
कैसी नींद कैसी शैय्या ?
शैय्या यह चिता समान ।
कैसा बसंत कौन सी बौछार?
बसंत यह कांटो समान ।
कैसे फ़ूल कैसा घाव?
फ़ूल यह समशेर समान ।
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈